हिन्दूकुश हिमालय क्षेत्र में बर्फ पिघलने और सिकुड़ते ग्लेशियर के चलते ग्लोबल वार्मिग का सबसे ज्यादा खामियाजा नेपाल को भुगतना पड़ रहा है। विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि यह वह क्षेत्र है, जो 24 करोड़ लोगों की पानी की जरूरतें पूरी करने के साथ ही उन्हें रहने लायक मौसम प्रदान करता है।
भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बात करते हुए नेपाली विदेश मंत्री का कहना था कि अप्रैल में नेपाल सरकार द्वारा आयोजित ‘सागरमाथा संवाद’ के पहले संस्करण में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी प्रमुखता से बात होगी। उन्होंने बताया कि नेपाल में ग्लोबल वार्मिग से जुड़ीं प्राकृतिक आपदा की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। पिछले साल मार्च में आया तूफान इसकी पुष्टि करता है, जिसमें 31 लोगों की मौत हो गई थी।
ग्यावली के अनुसार, नेपाल के जल विज्ञान विभाग द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि तूफान की घटना ग्लोबल वार्मिग से जुड़ी थी। उन्होंने बताया कि मौसम में इस तरह का परिवर्तन ऐसे लोगों और समाज को नुकसान पहुंचाता है, जिनका इसे खराब करने में कतई कोई योगदान नहीं होता है। नेपाल भी इनसे से एक है। वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में नेपाल का हिस्सा मात्र 0.027 फीसद है, लेकिन इसके बावजूद वह जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों से बुरी तरह प्रभावित है। यह हाल तब है, जब उसका 45 फीसद भूभाग वनों से आच्छादित है।